Best 100+ Zia Mazkoor Shayari in Hindi | ज़िया मज़क़ूर शायरी 2025
Zia Mazkoor Shayari in Hindi: ज़िया मज़क़ूर शायरी अपने आप में एक अनोखा अंदाज़ और गहरी सोच लिए होती है। इसमें इश्क़ की नज़ाकत, ज़िंदगी की सच्चाइयाँ और दिल की गहराइयों से निकले हुए जज़्बात शामिल होते हैं। उनकी शायरी का रंग सिर्फ़ मोहब्बत तक सीमित नहीं रहता, बल्कि तजुर्बों, दर्द, तन्हाई और उम्मीदों की झलक भी उसमें साफ़ नज़र आती है। ज़िया मज़क़ूर के अल्फ़ाज़ दिल को छू लेने वाले होते हैं, जो पढ़ने वाले को अपनी ही ज़िंदगी के हालात और एहसासात से जोड़ देते हैं।
इस पोस्ट में हम आपके लिए चुनकर लाए हैं बेहतरीन Zia Mazkoor Shayari, जो दिल को सुकून भी देगी और सोचने पर मजबूर भी करेगी।
Zia Mazkoor Shayari
लोग हमारी तारीफ़ में जो रोशनी (ज़िया) करते हैं
उसी का मज़क़ूर (ज़िक्र) करके हमें नीचे उतार लेंगे !!
एक नज़र देखते तो जाओ मुझे
कब कहा है गले लगाओ मुझे
तुमको नुस्खा भी लिख के दे दूंगा
ज़ख्म तो ठीक से दिखाओ मुझे !!
ये उसकी मोहब्बत है कि रुकता है तेरे पास
वरना तेरी दौलत के सिवा क्या है तेरे पास !!
इश्क़ लटका रहेगा पंखे पे
लोग किस्से बनाएंगे रिश्तों के
कभी मोहब्बत का नाम देंगे
कभी इल्ज़ाम लगाएंगे वक्तों के !!
बिठा दिया है सिपाही के दिल में डर उसने
तलाशी दी है दुपट्टा उतार कर उसने !!
Zia Mazkoor Shayari in Hindi
तुम्हें देख के लगता है खुदा भी हैरान है
इतना सुंदर बनाया, फिर दिमाग़ क्यों परेशान है?
तेरी तस्वीर दिल में सजाए बैठे हैं
तेरी चाहत में सब कुछ भुलाए बैठे हैं !!
तेरी हँसी ने दिल को बेकरार कर दिया
तेरे इश्क़ ने हमें भी लाचार कर दिया !!
इस वक़्त मुझे जितनी ज़रूरत है तुम्हारी
लड़ते भी रहोगे तो मोहब्बत है तुम्हारी !!
कोई कहता नहीं था लौट आओ
कि हम पैसे ही इतने भेजते थे
तुम्हारा शुक्रिया ऐ डूबती नाव
कि हम भी तैरना भूले हुए थे !!
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Zia Mazkoor Shayari Book
वक़्त ही कम था फ़ैसले के लिए
वर्ना मैं आता मशवरे के लिए
तुम को अच्छे लगे तो तुम रख लो
फूल तोड़े थे बेचने के लिए !!
ज़िया-ए-मज़क़ूर पे इतरा रहे थे हम
अब वही लोग हमें नीचे उतार लेंगे !!
अब बस उसके दिल के अंदर दाखिल होना बाकी है
छह दरवाजे़ छोड़ चुका हूं एक दरवाज़ा बाकी है !!
चारागर ऐ चारागर चिल्लाती थी
ज़ख़्मों को भी हाथ नहीं लगवाती थी
पता नहीं कैसा माहौल था उसके घर
बुर्का पहन के शर्टें लेने आती थी !!
मैं उन्हीं आबादियों में जी रहा होता कहीं
तुम अगर हँसते नहीं उस दिन मेरी तक़दीर पर !!
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Mashkoor Zia Mazkoor Shayari
ससे आपका दुख भी हो जाएगा अच्छा खासा कम
मुझ पर गुज़रे लम्हों में से कर दो बस एक लम्हा कम !!
तन्हाई में भी तेरा एहसास साथ रहता है
दिल को बस तेरा ही नाम भाता रहता है !!
हवा चली तो उस की शाल मेरी छत पे आ गिरी
ये उस बदन के साथ मेरा पहला राब्ता हुआ !!
तेरे दीदार की प्यास रोज़ बढ़ती जाती है
दिल की धड़कन बस तेरा नाम गुनगुनाती है !!
तुम ने भी उन से ही मिलना होता है
जिन लोगों से मेरा झगड़ा होता है
तुम मेरी दुनिया में बिल्कुल ऐसे हो
ताश में जैसे हुकुम का इक्का होता है !!
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Shayari Zia Mazkoor Shayari
अब तो थोड़ा रास्ता बाकी है
इश्क़ का एक किस्सा बाकी है
मंज़िल मिले या ना मिले हमें
चलने का बस जज़्बा बाकी है !!
ख़ुदा के हाथ से लिक्खा मुक़द्दर अपनी जगह
हम उसके बन्दे हैं मेहनत तो कर ही सकते हैं !!
तेरी चाहत में खो गए हैं इस कदर
अब तो हर साँस तेरा नाम लेती है अक्सर !!
तेरे बिना हर खुशी अधूरी लगती है
तेरी मौजूदगी से ही दुनिया पूरी लगती है !!
इश्क़ ने हमें तेरा दीवाना बना दिया
तेरी चाहत ने हर दर्द मिटा दिया !!
Ziya Zia Mazkoor Shayari
बोल पढ़ते हैं हम जो आगे से
प्यार बढ़ता है इस रवये से
मैं वही हूँ, यकीन करो मेरा
मैं जो लगता नहीं हूँ चेहरे से !!
तेरी मुस्कान से रौशन ये ज़िंदगी मेरी
तेरे बिन अधूरी है दास्तान मेरी !!
तेरे बिना दिल को चैन आता नहीं
तेरे सिवा कोई और नज़र आता नहीं !!
तेरे ख्यालों में ही डूबा रहता हूँ
हर लम्हा तुझसे जुड़ा रहता हूँ !!
जगह जगह न तअल्लुक़ ख़राब कर मेरा
तेरे लिए तो किसी से भी लड़ पड़ूँगा मैं !!