Best 101+ Kumar Vishwas Shayari in Hindi | कुमार विश्वास शायरी 2025

Kumar Vishwas Shayari

Kumar Vishwas Shayari: कुमार विश्वास हिंदी कविता और शायरी की दुनिया का वह नाम है, जिनकी पंक्तियाँ दिल की गहराइयों को छू जाती हैं। उनकी शायरी में मोहब्बत की मिठास भी है, रिश्तों की गहराई भी है और जीवन को देखने का एक नया नजरिया भी। उनकी कविताएँ सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि भावनाओं का ऐसा आईना हैं जिसमें हर इंसान खुद को देख सकता है। चाहे बात इश्क़ की हो, दोस्ती की या फिर जीवन की सच्चाइयों की, कुमार विश्वास की शायरी हर किसी के दिल में जगह बना लेती है।

इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आए हैं चुनिंदा कुमार विश्वास शायरी, जो न केवल आपको प्रेरित करेंगी बल्कि आपके जज़्बातों को भी आवाज़ देंगी।

Kumar Vishwas Shayari

Kumar Vishwas Shayari
Kumar Vishwas Shayari
ये तेरी बेरुख़ी की हम से आदत ख़ास टूटेगी
कोई दरिया न ये समझे कि मेरी प्यास टूटेगी
तेरे वादे का तू जाने मेरा वो ही इरादा है
कि जिस दिन साँस टूटेगी उसी दिन आस टूटेगी !!
हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है !!
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ !!
“कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम
बिन. भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम
बिन ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने कभी
तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन !!
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझाता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

Motivational Kumar Vishwas Shayari

Motivational Kumar Vishwas Shayari
Poetry Motivational Kumar Vishwas Shayari
मुश्किलें चाहे कितनी भी आएँ, हार मत मानना
हर रात के बाद नया सूरज है, बस ये जानना !!
मंज़िल उन्हीं को मिलती है जो सफ़र में थकते नहीं
हौसले से जो लड़ते हैं, वो कभी झुकते नहीं !!
कभी हार मत मानो, चाहे वक्त बुरा हो जाए
जिसने कोशिश छोड़ी नहीं, वही मंज़िल पाए !!
जितनी बड़ी ठोकर, उतनी बड़ी सीख बन जाती है
गिरने के बाद ही तो जीत की राह आती है !!
चलो वहाँ जहाँ कोई रास्ता नज़र न आए
कदमों से ही नया रास्ता बन जाए !!

Kumar Vishwas Shayari in Hindi

Kumar Vishwas Shayari in Hindi
Kumar Vishwas Shayari Hindi
ज़ख्म भर जाएंगे तुम मिलो तो सही
दिन सँवर जाएंगे तुम मिलो तो सही
रास्ते में खड़े दो अधूरे सपने
एक घर जाएंगे तुम मिलो तो सही !!
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे
वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे !!
एक दो दिन में वो इकरार कहाँ आएगा
हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा
आज जो बाँधा है इनमें तो बहल जायेंगे
‪रोज़ इन बाँहों का त्यौहार कहाँ आएगा !!
सालों बीत जाते हैं तिनका तिनका सिमटने में
तब कहीं जाकर हो पाते हैं घोंसले मयस्सर
कमियां नहीं पैदा कर पाती दूरियां कभी, सीमा
बस खुदगर्जी की चिंगारी ही हवा दे जाती है अक्सर !!
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है !!

Dard Kumar Vishwas Shayari

Dard Kumar Vishwas Shayari
Dard Kumar Vishwas Shayari
बात करनी है बात कौन करे
दर्द से दो-दो हाथ कौन करे
हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं
चांद ना हो तो रात कौन करे !!
पुराने दोस्त जमे हैं मुंडेर पर छत की
ये शाम रात से पहले ढली-ढली सी लगे
तुम्हारा ज़िक्र मिला है नरम हवा के हाथ
हमें ये जाड़े की आमद भली-भली सी लगे !!
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते !!
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है !!
जिंदगी से लड़ा हूँ तुम्हारे बिना
हाशिए पर पड़ा हूँ तुम्हारे बिना
तुम गई छोड़कर, जिस जगह मोड़ पर
मैं वहीं पर खड़ा हूँ तुम्हारे बिना !!

Kumar Vishwas Shayari Lyrics

Kumar Vishwas Shayari Lyrics
Kumar Vishwas Shayari in Hindi Lyrics
नहीं कहा जो कभी ख़ामख़ा समझती है
जो चाहता हूँ मैं कहना कहाँ समझती है
सब तो कहते थे ताल्लुक में इश्क़ के अक्सर
आँख को आँख ज़बाँ को ज़बाँ समझती है !!
दिल के तमाम ज़ख़्म टेरी हाँ से भर गए
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए !!
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा !!
जब से मिला है साथ मुझे आप का हुज़ूर
सब ख़्वाब ज़िंदगी के हमारे सँवर गए !!

Rishte Kumar Vishwas Shayari

Rishte Kumar Vishwas Shayari
Rishte Kumar Vishwas Shayari
रिश्ते खून से ही नहीं, एहसास से भी बनते हैं
कुछ लोग अजनबी होकर भी अपने लगते हैं !!
रिश्तों की किताब में लिखा है साफ़
प्यार निभाओ तो रहता है बरसों तक ख़ास !!
सच्चे रिश्ते दिल से निभाए जाते हैं
ना नाम के लिए, ना दिखावे के लिए बनाए जाते हैं !!
रिश्तों की डोर हमेशा मोहब्बत से बंधी होती है
अगर भरोसा टूटे तो उम्रभर की तन्हाई देती है !!
रिश्ते वही अच्छे लगते हैं
जहाँ दिल से निभाने की चाह हो
वरना मजबूरी में तो हाथ भी मिलाए जाते हैं !!

Dr Kumar Vishwas Shayari

Dr Kumar Vishwas Shayari
जो किए ही नहीं कभी मैंने
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं
मुझसे फिर बात कर रही है वो
फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !!
मिरा ख़याल तिरी चुप्पियों को आता है
तिरा ख़याल मिरी हिचकियों को आता है !!
उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे
वह मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा
यह मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे !!
जब भी मुँह ढंक लेता हूँ तेरे जुल्फों की छाँव में
कितने गीत उतर आते हैं मेरे मन के गाँव में !!
ना पाने की ख़ुशी है कुछ ना खोने का ही कुछ गम है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ जख्मो का मरहम है
अजब सी कशमकश है रोज जीने रोज मरने में
मुकम्मल जिंदगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है !!

Kumar Vishwas Shayari Love

Kumar Vishwas Shayari Love
छू गया जब कभी खयाल तेरा
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया था घर में
और घर देर तक महकता रहा !!
चंद चेहरे लगेंगे अपने से
ख़ुद को पर बेक़रार मत करना
आख़िर में दिल्लगी लगी दिल पर
हम न कहते थे प्यार मत करना !!
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा !!
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करती है !!
तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता
कई जन्मों से बंदी है बग़ावत क्यों नहीं करता
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है मुहब्बत क्यों नहीं करता !!

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